Farmer Protest: किसान आन्दोलन के 35 दिन 7 वें दौर की बात, 2021का स्वागत किसान सड़कों पर ही करेंगे

दिल्ली के बॉर्डर पर चल रहा किसान आन्दोलन आज 35वें दिन में प्रवेश कर चुका है. अब भी किसान और सरकार दोनों अपने रवैये पर अड़े हैं. किसानों को तीनों कानूनों की वापसी चाहिए लेकिन सरकार इसके लिए तैयार नहीं है. नेशनल न्यूज कॉज आपको अपने स्रोतों के जरिये इस आंदोंलन से जुडी बड़ी बातों की अपडेट लगातार देता रहेगा.  

आज फिर एक बार सरकार और किसान नेता आमने सामने होंगे 7वें दौर की बात होगी लेकिन इस बात के जरिये कोई निर्णायक हल निकले ये अभी दिख नहीं रहा है. क्योंकि सरकार कानूनों को किसी भी कीमत पर वापस लेने को तैयार नहीं है. सरकार के तमाम मंत्री और भाजपा के नेता देश में किसानों को इन कानूनों के फायदे बता रहें हैं. इसके लिए वे सोशल मीडिया का भी भरपूर इस्तेमाल कर रहें हैं.  

अब बात करते हैं किसान आन्दोलनों के कारण आम जनता को हो रही परेशानी की, दिल्ली के बॉर्डर पर अराजकता की स्थिति बनी है बार बार सडकों को बंद किया जा रहा है जिसके कारण दिल्ली में व्यापार करने वाले लोग परेशान हैं. 

सुशील गुप्ता जिनका अपना गिफ्ट आइटम्स का होलसेल का काम है ने नेशनल न्यूज़ कॉज से बातचीत में बताया कि पहले महामारी और अब दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों  का आन्दोलन इससे उनका बिज़नस चौपट हो गया है. क्या किसानों का आंदोंलन गलत है उनका कहना है कि किसानों की मांगें बिल्कुल सही हैं. GST के कानून का अगर ऐसा ही विरोध व्यापारियों ने भी किया होता तो कई व्यापारी और उत्पादक बर्बाद होने से बच जाते.  

क्या 2021 में प्रवेश करेगा ये किसान आन्दोलन? ये सवाल सबके जेहन में है. अगर आन्दोलन के कमजोर होने की बात करें तो ऐसा होता अभी नहीं दिख रहा है और किसानों का दमख़म ये दिखा रहा है कि आन्दोलन अभी लम्बा खीचेगा. 

सरकार रोज सोशल मीडिया या समाचारों के माध्यम से ये बता रही है कि देश के किसानों का एक बहुत बड़ा वर्ग सरकार द्वारा लागू कानूनों के समर्थन में है. ऐसे कई संगठन सामने भी आये हैं जिन्होंने इन कानूनों का समर्थन भी किया है. लेकिन यहाँ ये बड़ी बात है कि ये समर्थक किसान किसी भी सार्वजनिक मंच पर ये नहीं बोले हैं कि वे इन कानूनों का समर्थन करते हैं.  

राजनैतिक दलों की बात करें तो इस समय देश में विपक्ष काफी कमजोर स्थिति में है, कोई भी दल मुखर कर केंद्र सरकार के विरोध में साथ खड़ा नहीं है. हाँ इस आन्दोलन का एक बड़ा असर ये देखने में  हुआ कि कई टीवी चैनल जिन पर सरकार की चमचागिरी का आरोप था उन्हें भी अपने रवैये में थोड़ा बहुत परिवर्तन लाना पडा. किसान आन्दोलन के दौरान कई टीवी चैनल के प्रतिनिधियों को आन्दोलन स्थल से खदेड़ा भी गया था.  

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