दुनिया अब महा भुखमरी के कगार पर होगी, संयुक्तराष्ट्र संघ UN का दावा, कोरोना का सबसे खतरनाक चेहरा सामने आएगा

अब कोरोना के संक्रमण से ज्यादा बुरा समय आना तय है दुनिया की आबादी का का एक बड़ा भाग महा भुखमरी से जूझेगा, ना नौकरियाँ होंगी, ना सरकारी खजाने में पैसा. ऐसे में कैसी होगी दुनिया की तस्वीर इसका आकलन आशुतोष पाण्डेय द्वारा

दुनिया कोरोना वायरस जैसी महामारी का प्रकोप झेल रही है ऐसे में दुनिया की तीन बड़ी संस्थाओं ने जो चेतावनियां दी हैं उनका प्रभाव सारी दुनिया पर भयावह होगा. अभी तक सारी दुनिया में कोरोना संक्रमण के  केस चालीस लाख के पास पहुंच गए हैं. दो लाख सत्तर हजार जानें जा चुकी हैं. 
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) तो लंबे समय बता रहा है कि कोरोना दुनिया के सामने सबसे बड़ा खतरा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन जनवरी के महीने में ही हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर चुका है. इसी संदर्भ में आज संयुक्त राष्ट्र (United Nation) के वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (World Food Program) ने भी कह दिया है दुनिया के गरीब देश भुखमरी बल्कि महाभुखमरी के कगार पर पहुंच रहें हैं. वर्ल्ड फ़ूड प्रोग्राम का ये दावा अब जिस भविष्य की ओर इशारा कर रहा है उसकी तस्वीर काफी स्याह होगी. 
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इस समय सारी दुनिया में नौकरियां जा रही हैं और इन्हें किस प्रकार रोका जाए इसका कोई हल किसी के पास नहीं दिखता है. अमेरिका में इस बीच तीन करोड़ तीस लाख नौकरियां जा चुकी हैं. इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) ने कहा है कि ये 1930 में आए सबसे बड़े आर्थिक संकट से भी बड़ा खतरा है. IMF के इस दावे के बाद ग्लोबल इकॉनमी की कमर टूटनी तय लग रही है. 
इसे दुनिया पर कोरोना का ट्रिपल अटैक कहा जा रहा है. दुनिया पर कोरोना का ट्रिपल अटैक इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि वर्ल्ड फ़ूड प्रोग्राम ने माना है कि इससे भुखमरी की मार पड़ेगी और WHO ने माना कि ये अभी तक कि सबसे बड़ी महामारी है जिससे अभी और भी कई जानें जाऐंगी. वहीं IMF का कहना है कि कोविड-19 के चलते देशों की इकॉनोमी पर आर्थिक मंदी की भारी मार पड़ेगी.
दुनिया के तमाम गरीब देशों में कोरोना अभी तीन से छह महीने बाद अपने पीक पर पहुंचेगा. अनुमान है कि उसके बाद एक महाभुखमरी का दौर शुरू होगा. वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के कार्यकारी निदेशक डेविड बिस्ले (David Beasley) ने कहा है कि अभी हम पर महामारी की दोहरी मार है. भुखमरी का जबरदस्त प्रकोप होने जा रहा है. हम महाभुखमरी के कगार पर पहुँचने वाले हैं.
संयुक्त राष्ट्र (UN) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में 13 करोड़ पचास लाख लोग भुखमरी की कगार पर हैं. इसमें 82 करोड़ ऐसे लोग है जिनका पेट पूरा नहीं भर पाता है. अभी तो कई लोग और संस्थाएं लोगों के लिए खाने का इंतजाम कर रही हैं लेकिन ऐसा लम्बे समय तक कर पाना सम्भव नहीं होगा इससे अब ये संख्या और बढ़ सकती है क्योंकि कोरोना के चलते पूरी दुनिया में सप्लाई चेन ठप हो गई है. जिसका सबसे ज्यादा असर गरीब देशों पर पड़ेगा अभी उपलब्ध आंकड़ों के हिसाब से दुनिया में ऐसे 37 देश है जो भुखमरी की कगार पर हैं. जिन नौ देशों को यूएन ने इसमें शामिल किया है उनमें पाकिस्तान का नाम भी शामिल है. यूएन ने इसके लिए दुनिया से 5000 करोड़ रुपये इकट्ठा करने की अपील की है. यूएन के महासचिव अंतोनियो गुटारेज (António Guterres) ने कहा है कि हमारी जरूरत 6.7 बिलियन डॉलर इकट्ठा करने की है ताकि हम लाखों लोगों को कोरोना की चपेट में आने से बचा सकें. अगर कोविड -19 गरीब देशों में पहुंचेगा तो हम सब रिस्क पर हैं.
कोई भी ये बताने की स्थिति में नहीं है कि ये पैसा कहां से आएगा जब दुनिया भर की सरकारों का खजाना खाली हो रहा है. IMF दावा कर रहा है कि इस बार का हाल 1930 की मंदी से भी बुरा है. आईएमएफ की एमडी क्रिस्टालीना जॉर्जिवा (Kristalina Georgieva) ने कहा कि ये दौर ग्रेट डिप्रेशन की भयानक मंदी से बड़ा है क्योंकि इसमें स्वास्थ्य संकट के साथ आर्थिक झटका भी जुड़ गया है. ऐसे मौकों पर सरकारें खर्च करती हैं. अब वो कह रही है बाहर मत जाओ, खर्च मत करो.
अर्थव्यवस्था चौपट होने के डर से अब दुनिया भर की सरकारें लॉकडाउन की शर्तें हल्की कर रही हैं या लॉक डाउन हटा रही हैं लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन चेतावनी दे रहा है कि ऐसा करने से कोरोना और खतरनाक रूप ले सकता है और संक्रमण बढ़ने की स्थिति में लॉकडाउन दोबारा लगाना पड़ सकता है.  दुनिया में कोरोना वायरस के केस चालीस लाख हो चुके हैं लेकिन कई देशों में ये अब तक पीक पर नहीं पहुंचा है. कोरोना से दुनिया कब आजाद होगी इसके बारे में कोई कुछ कहने की हालात में नहीं है. जब कोरोना का प्रकोप काबू होगा तब दुनिया किस हाल में होगी इसकी कल्पना ही भयावह लगती है. 

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